टीवी खोला ही था कि धमाका हुआ और धमाका देखकर मेरे बालमन का मयूर नाच उठा। बालमन का मयूर था तो नौसिखिया नर्तक होना तो लाजमी ही था। परन्तु नौसिखिए नर्तक के साथ सबसे बड़ी समस्या ये होती है कि उसे हर काम में ‘साथी हाथ बढ़ाना’ वाले भाव में एक साथी की आवश्यकता महसूस होती है। उसको नाचने में मजा तब आता है जब कोई साथ देने वाला हो। और मेरे पास पिता-मेड पत्नी के होने का घोर सुख प्राप्त था तो मैंने खुश होकर श्रीमती जी को आवाज लगाई,
“एक बात जानती हो?”
उनके कान पीपल के पत्ते की तरह फड़फड़ा उठे और शोएब अख्तर के गेंद की तरह उनकी आवाज आई, “क्या?”
“अरे भाई! कश्मीर से 370 खत्म हो गया।“
तो श्रीमती जी ने बड़े मासुमियत से पूछा, “मतलब 370 का रीचार्ज खत्म हो गया!“
वैसे पत्नी की मासुमियत और शेर की अँगड़ाई में बहुत फर्क नहीं होता। बहरहाल, मैं हैरान होकर उनकी ओर देखा और अभी अपने तरकश से बाण निकालने ही वाला था कि आकाशवाणी की तरह उनकी आवाज गूँजी, “यही फालतू बात बताने के लिए खुश हुए जा रहे थे?”
मैं मन ही मन झल्लाकर उच्चारित किया,
“नहीं यार! सरकार ने कश्मीर से धारा 370 हटा दिया है।“
श्रीमती जी ने कौतुहल से उत्तर दिया,
"अच्छा! वो वाला 370।“
मैं संतुष्ट भाव से हाँ कहने वाला था कि उससे पहले ही उन्होंने पूछ मारा
“और 35ए का क्या होगा?"
मुझे लगा श्रीमती को मेरी बातों में इंटरेस्ट आने लगा है तो मैंने खुश होकर कहा, "वह भी खत्म हो जाएगा।"
कश्मीर के बर्फ की तरह उन्होंने तकरीर की, "अच्छी। बात है लेकिन...।"
‘लेकिन’ शब्द सुनते ही मैं चीख उठा, "लेकिन क्या?"
मुझे अपने घर में बुद्धिजीवी के पैदा हो जाने का डर समा गया था। उन्होंने मेरी चीख सुनकर खा जाने वाली नजर से देखते हुए परन्तु बडे ठंडे अंदाज में कहा,
"यही कि मेरे कश्मीर से ना तो कुछ खत्म होगा और ना ही कुछ नया लागू होगा!"
उनके इस बयान मात्र से 370 और 35ए ने राहत की साँस ली तो बेचारी 377 और 497 ने ना उम्मीदी में सिर झुकाकर चलती बनीं।
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राजीव उपाध्याय
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (04-09-2019) को "दो घूँट हाला" (चर्चा अंक- 3448) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चा में स्थान देने के लिए सादर धन्यवाद सर।
हटाएंउनके इस बयान मात्र से 370 और 35ए ने राहत की साँस ली तो बेचारी 377 और 497 ने ना उम्मीदी में सिर झुकाकर चलती बनीं। ..............यह भी ज्वलंत विचारणीय विषय है
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
उत्साह बढाने के लिए सादर आभार कविता जी।
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