काजू भुने प्लेट में विस्की गिलास में
उतरा है रामराज विधायक निवास में।
पक्के समाजवादी हैं तस्कर हों या डकैत
इतना असर है खादी के उजले लिबास में।
आजादी का वो जश्न मनाएँ तो किस तरह
पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें
संसद बदल गई है यहाँ की नखास में।
जनता के पास एक ही चारा है बगावत
यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में।
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अदम गोंडवी
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(१२-०१-२०२०) को "हर खुशी तेरे नाम करते हैं" (चर्चा अंक -३५७८) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
सुंदर रचना
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